सिद्ध वरुण गणपती पैठण
शेष नाग
के फन पर विराजमान सिद्ध वरुण गणपती आपने भक्तो के दुःख हरने के लिए पैठण
के पुरातन नाग घाट पर विराजमान है | पिछले तीन पीढ़ी से सिद्ध वरुण
गणेशजी के पुजारी kumar अम्बादास कुलकर्णी ने जानकारी देते हुवे खा | सिद्ध वरुण गणपती की स्थापना खुद पेशवा ने की थी | जिसका प्रमाण पुरानो में मिलता है |
प्रतिष्ठान नगरी आजका पैठण किसी ज़माने में पैठण शालिवाहन राजा की राजधानी थी | पेशवा ने भी प्रतिष्ठान नगरी पर राज kiya
| उसी दुरन नाग घाट पर सिद्ध वरुण गणेशजी की स्थापना करने के प्रमाण
तीर्थ शेत्र पूरण इस ग्रन्थ में मिलता है | सिद्ध वरुण गणेशजी का तेज
देखते ही बनता है | छे फिट उची पत्थर की यह गणेशजी की मूर्ति शेष नाग पर
विराजमान है | सिद्ध वरुण गणेशजी को kamal के फूल पसंद है | भक्तो
का मन्ना नहीं के सिद्ध वरुण गणेशजी को प्रसन करने के लिए सचे दिल से
ग्यारा या एकिस दिनों तक दर्शन मंत्र से ही मनो कामना पूरी हो जाती है |
गणेशजी उन्ही के भीना विग्न पुरे ग्यारह या एकिस दिन पुरे करते है जिनकी
मनो कामना पूरी होनी होती है | वर्ना कोई ना कोई विग्न आता है और भक्त
दर्शन से महरूम हो जाता है | पैठण के कुछ भक्त तो ayse भी है जो
पिछले १५ सालो से लगातार इस मंदिर मन हरदिन दर्शन को आते है उन्हें सिद्ध
वरुण गणेशजी ने कोई कमी नहीं की |
इस वर्ष गणेशजी की स्थापना के उपलक्ष पर पुरे रीती रिवाज से पूजा की गयी |
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