संत द्यानेश्वर महाराज अपेगांव येथील असल मूर्ति....
The orignal statue of sant dyaneshwar maharaj apegaon..
संत द्यानेश्वर महाराज विट्ठल विट्ठल गोविन्द कुलकर्णी और रुख्मिणी बाई के ४
में से दुसरे सुपुत्र थे | उनका जन्म पैठण तहसील के गोदावरी नदी किनारे
बसे अपेगाँव में १२७१ में हुवा था | आज कार्तिकी एकादशी के मुहूर्त पर
अपेगाँव में पूजा पट, होम हवन कर दही हांड़ी फोड़ी गयी |
कार्तिकी
एकादशी के मुहूर्त पर द्यानेश्वर महाराज के जन्म स्थान अपेगाँव गाँव में
वारकरी संप्रदाय के भक्तो का ताका लगा रहा | हजारो के संक्या में भक्तो ने
माउली द्यानेश्वर महाराज की मूर्ति का दर्शन किया | इस मुहूर्त पर पैठण के
विधायक संजय वाघचौरे ने सहा पत्नी माउली की संगेमरमर की छोटी से मूर्ति
का अभिषेक कर पारंपरिक पूजा की | इस समय हवन में पूजा कर आहुति दी गयी |
बड़ी संक्या में दूर दूर से वारकरी संप्रदाय को मानने वाले भाविक उपस्तित
थे | यहाँ के स्वर्गवासी पुजारी विष्णु महाराज कोल्हापुरकर के जीवन चरित्र
पर छायांकित पुस्तिका का विमोचन किया गया | कई वर्षो पहले विष्णु महाराज
कोल्हापुरकर द्यानेश्वर महाराज के जन्म स्थान को खोजते हुवे यहाँ ए थे | तब
यहाँ छोटा से मंदिर था | भक्त गन, विष्णु महाराज और राज्य सरकार के योगदान
से आज यहाँ भव्य मंदिर की नीव राखी गयी | आने वाले दिनों में यहाँ आलीशान
मंदिर होगा |
विट्ठल
कुलकर्णी ने सन्यास आश्रम छोड़कर रुक्मिणी बाई से शादी कर ग्रहस्त आश्रम
में जाने से इस परिवार को समाज से बेदखल कर दिया गया | माँ और पिता के
जलसमाधि लेने पर विट्ठल कुलकर्णी के ४ बच्चे निवृत्ति, द्यांदेव, सोपान और
मुक्त बाई ने समाज में फिर एक बार प्रवेश करने के लिए पैठण के ब्राम्हणों
से शुद्धि पत्र माँगा और उनकी खिल्ली उड़ानी चाही | शुद्धि पत्र लेने आये
इन बच्चो के सामने पैठण के ब्रम्हावृन्द ने पत्थर के भैसे से वेड पढवाने
की शर्त इन बच्चो के सामने राखी | संत द्यानेश्वर महाराज ने पैठण
के नाग्घाट पर पत्थर के भैसे की एक मूर्ति से वेद पढवाए इस पर भी
भ्रम्वृन्द ने उन्हें शुद्धि परत्र नहीं दिया और वे नासिक जिल्हे के नेवासा
चले गए | वह द्यानेश्वर महाराज ने कुल १४ वर्ष की आयु में द्यानेस्वारी
लिखी और समाधी के लिए आलंदी चले गए | जहा उन्होंने समाधी ली |
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